क्या नेहरू ने भारत की ज़मीन चीन और पाकिस्तान को दे दी?
यह झूठ सालों से फैलाया गया है। असलियत यह है कि नेहरू की नेतृत्व में ही भारत ने कश्मीर, लद्दाख, गोवा, हैदराबाद और कई रियासतों को जोड़कर अपना विस्तार किया। इन दो वीडियो में जानिए... POK और अक्साई चिन की सच्चाई, 1962 युद्ध के तथ्य और नेहरू की असली भूमिका। 👉 अफ़वाहों से नहीं, इतिहास से सीखें।सोमवार, 29 सितंबर 2025
आखिरी बात: एकाकीपन, संघर्ष और अधूरी आकांक्षा | पोस्टस्क्रिप्ट, पाँच वर्ष बाद | नेहरू की आत्मकथा
📘 अंतिम शब्द: एकाकीपन, संघर्ष और अधूरी आकांक्षा
🎧 नेहरू की आत्मकथा की अंतिम कड़ी—पोस्टस्क्रिप्ट और पाँच वर्ष बाद
🖋️ पोस्टस्क्रिप्ट
यूरोप में लिखे गए इस अंश में नेहरू क्वेटा भूकंप, प्रशासन की असंवेदनशीलता और कमला की बिगड़ती तबीयत को याद करते हैं।
जेल से रिहाई भी शांति नहीं देती—व्यक्तिगत अकेलापन वैश्विक उथल-पुथल से जुड़ जाता है।
🖋️ पाँच वर्ष बाद
कमला नहीं रहीं। दुनिया फासीवाद की ओर बढ़ रही है।
कांग्रेस की उपलब्धियों के बावजूद नेहरू हताश हैं।
फिर भी वे भारतवासियों और एक न्यायपूर्ण भविष्य में विश्वास बनाए रखते हैं।
🎧 सुनिए एक ऐसे संघर्षशील आत्मा की अंतिम अनुभूतियाँ, जिसने प्रेम, पीड़ा और संकल्प से एक नया भारत गढ़ा।
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बुधवार, 24 सितंबर 2025
💔 🌿 ग्यारह दिन की रिहाई, लेकिन बोझ और गहरा गया | Chapters 65 & 66 of Nehru's Autobiography
💔 ग्यारह दिन की रिहाई, लेकिन बोझ और गहरा गया।
🎧 नेहरू की आत्मकथा के अध्याय 65 और 66
📘 65: ग्यारह दिन (Eleven Days)
नेहरू जेल से कुछ दिन के लिए रिहा होते हैं, लेकिन सामने होती है कमला की बिगड़ती हालत।
राजनीतिक जिम्मेदारियों और निजी दुख के बीच, वह असहाय महसूस करते हैं।
इन ग्यारह दिनों में प्रेम, पीड़ा और विवशता गहराई से उभरते हैं।
फिर... लौटते हैं जेल में—और अधिक टूटे हुए।
📘 66: फिर जेल में (Back to Prison)
नैनी और फिर अल्मोड़ा जेल में, नेहरू कमला की बीमारी और सरकारी बेरुखी के बीच पिसते हैं।
प्रकृति की सुंदरता भी दिल का दर्द नहीं कम कर पाती।
पर वे चुपचाप सहते हैं—साहस और करुणा के साथ।
🎧 सुनिए, जब नेहरू का संघर्ष केवल राजनीतिक नहीं, निजी भी था।
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शुक्रवार, 12 सितंबर 2025
पूंजीवाद, साम्यवाद, समाजवाद और साम्राज्यवाद पर नेहरू के विचार | नेहरू की आत्मकथा | अध्याय 67 और 68 (अंग्रेजी में)
📘 एक यात्रा का अंत, लेकिन संघर्ष जारी है
(नेहरू की आत्मकथा की अंतिम कड़ी—पोस्टस्क्रिप्ट और पाँच वर्ष बाद अगले एपिसोड में)
🎧 नेहरू की आत्मकथा के अंतिम अध्याय 67 और 68
📘 67: कुछ हाल की घटनाएँ
जेल से नेहरू सांप्रदायिकता, साम्राज्यवाद और कांग्रेस की जनविमुखता की आलोचना करते हैं।
वे पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध सुधार की मांग करते हैं और लोकतांत्रिक समाजवाद को सावधानी से स्वीकारते हैं।
उनकी दृष्टि: एक न्यायपूर्ण और परिवर्तनकारी भारत।
📘 68: उपसंहार (Epilogue)
आत्मकथा के इस अंतिम अध्याय में नेहरू आत्ममंथन करते हैं—पूर्व और पश्चिम, कर्म और एकाकीपन के बीच।
45 की उम्र में वे निश्चितताओं की जगह प्रयास को चुनते हैं।
कैद ने उनके संकल्प को और गहरा कर दिया है।
🎧 सुनिए एक ऐसे व्यक्ति की अंतिम अंतरात्मा की आवाज़, जिसने आधुनिक भारत की राह बनाई—संघर्षों और आशाओं के बीच।
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बुधवार, 3 सितंबर 2025
धर्म, दर्शन, और विज्ञान | नेहरू की दृष्टि से | द डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया के एक अंश का हिंदी अनुवाद
'द डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया’ में जवाहरलाल नेहरू भारतीय चिंतन की गहराइयों को टटोलते हैं।
धर्म, दर्शन और विज्ञान ने हमारी सभ्यता को कैसे गढ़ा? आस्था और तर्क का संगम कहाँ होता है और टकराव कहाँ? यह वीडियो दसवें अध्याय के एक महत्त्वपूर्ण अंश का हिंदी अनुवाद प्रस्तुत करता है और आशा है नेहरू के विचार सीधे आपके दिल और दिमाग तक पहुंचेंगे. 👉 देखिए और सोचिए -- भारत, ज्ञान और मानवता पर नेहरू के ये अनमोल चिंतन आज भी कितने प्रासंगिक हैं: